Monday, January 9, 2012

राष्ट्र-किंकर के संस्कृति सम्मान समारोह में सम्मानित हुए हम सब साथ साथ के सदस्य

नई दिल्ली। बरसात, ओले के बाद जबरदस्त ठण्ड के बावजूद यहां देश के विभिन्न भागों से बड़ी संख्या में पधारे विद्वानों ने संस्कृति को समाज का प्राण बताते हुए उसे और समृद्ध बनाने का संकल्प लिया। अवसर था साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था राष्ट्र-किंकर द्वारा आयोजित संस्कृति सम्मान समारोह का। समारोह के मुख्य अतिथि भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ. जी.वी.जी.कृष्णामूर्ति ने संस्कृति सम्मान प्रदान करते हुए विदेशी दासता से विरुद्ध जनमानस के जनून की चर्चा करते हुए अपने विद्यार्थी जीवन के संस्मरण सुनाते हुए ‘यस सर’ के बदले ‘जयहिन्द’ कहने पर स्कूल में दंडित होने, बाल्यकाल में अंग्रेजी पुलिस की लाठियां खाने का उल्लेख किया। डॉ. कृष्णामूर्ति ने अपनी संस्कृति पर गौरव अनुभव करते हुए कठिन से कठिन चुनौती का सहजता से सामना करने का श्रेय बाल्यकाल के संस्कारों को दिया। उन्होंने युवाओं विशेष रूप से बढ़ते बच्चों पर विशेष ध्यान देने पर बल दिया। श्री विनोद बब्बर द्वारा संचालित समारोह की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध़ वैदिक विद्वान डा सुंदरलाल कथूरिया ने की। विशिष्ट अतिथि संस्कृत के प्रकांड विद्वान डॉ. रमाकान्त शुक्ल, दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी के सदस्य स.सुरजीत सिंह जोबन, आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री, प्रैस कोसिल के सदस्य श्री के.डी.चंदोला तथा समाजसेवी श्री परमानंद अग्रवाल ने भारतीय संस्कृति को वैज्ञानिक बताते हुए भाषा, पर्यावरण और संस्कृति  के संरक्षण पर बल दिया।  इससे पूर्व दिल्ली प्रदेश गायत्री परिवार की भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के संयोजक श्री खैराती लाल सचदेवा द्वारा दीपयज्ञ व रेड रोज पब्लिक स्कूल के छात्रों द्वारा वंदेमातरम् के पश्चात श्री अम्बरीश कुमार ने देश के कोने से कोने से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था के साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने मकर संक्रांति के ऐतिहासिक-पौराणिक महत्व, भीष्म पितामह द्वारा उत्तरायण की प्रतीक्षा, स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस, मुक्तसर पंजाब के गुरु गोविंद सिंह से जुड़े प्रसंगों की चर्चा भी की।
हर वर्ष मकर-संक्रांति के अवसर प्रदान किए जाने वाले संस्कृति सम्मान आचार्य डॉ. राधागोविंद थोंड़ाम, डॉ.अरुणा राजेन्द्र शुक्ल, डॉ. शामलाल, श्री अब्दुर्रज्जाक मायूस सागरी, डॉ. प्रमेन्द्र प्रियदर्शी, श्री अमरेन्दर कुमार, श्री ओमप्रकाश त्रेहन, श्री राजकिशोर, श्री मधुकर शैदाई, डॉ. भैरुलाल गर्ग, को प्रदान किये गये। भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में सर्वाधिक भागीदारी के लिए मोहन गार्डन के कमल मॉडल स्कूल, हस्तसाल के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय तथा सर्वाेदय कन्या विद्यालय को भी यह सम्मान प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त अनेक विद्वानों को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सारस्वत सम्मान भी प्रदान किये गये।। इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में अपनी काव्य रचनाओं से समा बांधने वालों में सर्वश्री सागर सूद, रशीद सैदपुरी, नंदलाल रसिक, घमंडीलाल अग्रवाल, मुसाफिर देहलवी, फरहत जमा खान, ऋतिक गुप्त दर्पण, एम.एस.तोमर ‘विरही’, डा. महेन्द्रपाल काम्बोज, डा. लालजी सहाय श्रीवास्तव, डा.शमीम देवबंदी, डॉ. सादिक, डा. चन्द्रसेन, अरुण कुमार ‘अजीब’ प्रमुख थे। कार्यक्रम का एक आकर्षण बालक आशुतोष द्वारा पणिनी अष्टाध्यायी का सस्वर कंठस्थ पाठ भी रहा। आशुतोष की प्रतिभा से खचाखच भरा सभागार आनंदित हो उठा।  धन्यवाद ज्ञापन श्री धर्मेन्द्र गर्ग किया।
इसी समारोह में विक्रम शिला हिन्दी विद्यापीठ की ओर से सुप्रसिद्ध हिन्दी सेवी एवम् संस्कृतिकर्मी  किशोर श्रीवास्तव तथा कवयित्री सुषमा भंडारी (हम सब साथ साथ के सदस्यों) को विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि भी प्रदान की गई.

Sunday, January 8, 2012

निम्बार्क शोध संस्थानम् द्वारा हम सब साथ साथ के सदस्यों का सम्मान
हिम्मत नगर। गुजरात की इस नगरी में निम्बार्क शोध संस्थानम् द्वारा आयोजित दो दिवसीय संस्कृत-हिन्दी संगोष्ठी में देश के विभिन्न से पधारे विद्वानों ने राष्ट्रीय एकता में राष्ट्रभाषा के योगदान पर चर्चा की। कार्यक्रम संयोजक एवं संस्थान के अध्यक्ष स्वामी डाण् गौरांगशरण देवाचार्य ने अपने उद्बोधन में संस्कृत को विश्व भाषा बताते हुए भारतीय भाषाओं पर संस्कृत के प्रभाव की चर्चा की। मुख्य अतिथि भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री केण् जीण् वंजारा ने संस्कृत को संस्कृति का आधार बाताते हुए चर्चा के विषय ष्संस्कृत साहित्य में नारी संवेदनाष् पर अपने विचार प्रकट किये। विकासशील जातीय कल्याणए गुजरात राज्य के निदेशक श्री वंजारा ने गीता के श्लोकों को उद्धृत करते हुए संस्कृत विद्वानों का अभिनन्दन किया। मुख्य वक्ता प्रधानमंत्री के सलाहकार रहे डा. सोमदत्त दीक्षित ने संस्कृत के विभिन्न ग्रन्थों के उदाहरण प्रस्तुत करते हुए नारी संवेदना और संस्कृत साहित्य का पूरक सिद्ध किया।
     इस अवसर पर डा. योगिनी पटेल, डा. हर्षा पटेल, डा. व्यास, डा. राकेश जोशी सहित अनेक विद्वानों ने अपने आलेख प्रस्तुत किये। इस अवसर पर संस्कृत की रक्षा करने के लिए डा. दीक्षित को निम्बार्क देववाणी दधिचि सम्मान प्रदान किया। उन्हें पुष्प गुच्छए शाल, प्रशस्ति पत्र तथा 5100 रुपये की राशि भेंट की गई। प्रथम दिवस विभिन्न कालेज के प्राचार्यों, छात्रों एवं बड़ी संख्या में संस्कृत प्रेमियों ने भी भाग लिया।
     द्वितीय दिवस ’बदलते वैश्विक परिदृश्य में हिन्दीष्’् को समर्पित था। वक्ताओं में गुरूनानक विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डा. हरमहेन्द्र सिंह बेदी, राष्ट्रकिंकर संपादक. विनोद बब्बर, कापड़िया महिला कालेज, भावनगर की हिन्दी विभाग अध्यक्ष डा. सुमन शर्मा, जूनागढ़ आर्ट कॉलेज के कालेज विभागाध्यक्ष डा. कान्ति भाई चौटालिया भी शामिल थे। वक्ताओं ने राष्ट्रभाषा के सम्मान की चर्चा करते हुए इसके अधिकाधिक प्रयोग पर बल दिया। इस अवसर अहिन्दी भाषी होते हुए भी हिन्दी के संवर्धन में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया जाने वाला प्रतिष्ठित निम्बार्क राष्ट्र सम्मान डा. हरमहेन्द्र सिंह बेदी को दिया गया। उन्हें ग्यारह हजार की नकद राशिए प्रशस्ति पत्र,  शाल आदि भेंट किया गया। श्रेष्ठ कृति सम्मान विनोद बब्बर के यात्रा वृतांत ‘इब्सन के देश में’ को दिया गया। सर्वाधिक लम्बी हिन्दी गज़ल के विश्वरिकार्ड धारी गोला गोकरणनाथ के डा. मधुकर शैदाई तथा पटियाला के सागर सूद को निम्बार्क गज़ल शिरोमणि सम्मान में नकद राशि, शाल, शील्ड अर्पित कर कृतज्ञता ज्ञापित की गई। अनेक अन्य सम्मान भी प्रदान किये गये।
     इस अवसर पर आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में भाग लेने वालों में सागर सूद, मधुकर शैदाई, इरफान राही भी शामिल थे।
     इस अवसर पर आयोजित सामाजिक विसंगतियों पर प्रहार और गुदगुदाने वाले पोस्टरों की किशोर श्रीवास्तव कृत ‘खरी-खरी’ कार्टून पोस्टर प्रदर्शनी को भी लोगों ने खूब सराहा। किशोर श्रीवास्तव द्वारा मंच पर प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम ने हिम्मत नगर के सहकार हाल में उपस्थित सैंकड़ों नागरिकों तथा विभिन्न भागों से आये हिन्दी प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनकी बहुमुखी प्रतिभा के कारण उन्हें ‘निम्बार्क सांस्कृतिक राजदूत सम्मान’ से नवाजा गया।