नई दिल्ली। बरसात, ओले के बाद जबरदस्त ठण्ड के बावजूद यहां देश के विभिन्न भागों से बड़ी संख्या में पधारे विद्वानों ने संस्कृति को समाज का प्राण बताते हुए उसे और समृद्ध बनाने का संकल्प लिया। अवसर था साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था राष्ट्र-किंकर द्वारा आयोजित संस्कृति सम्मान समारोह का। समारोह के मुख्य अतिथि भारत के पूर्व चुनाव आयुक्त डॉ. जी.वी.जी.कृष्णामूर्ति ने संस्कृति सम्मान प्रदान करते हुए विदेशी दासता से विरुद्ध जनमानस के जनून की चर्चा करते हुए अपने विद्यार्थी जीवन के संस्मरण सुनाते हुए ‘यस सर’ के बदले ‘जयहिन्द’ कहने पर स्कूल में दंडित होने, बाल्यकाल में अंग्रेजी पुलिस की लाठियां खाने का उल्लेख किया। डॉ. कृष्णामूर्ति ने अपनी संस्कृति पर गौरव अनुभव करते हुए कठिन से कठिन चुनौती का सहजता से सामना करने का श्रेय बाल्यकाल के संस्कारों को दिया। उन्होंने युवाओं विशेष रूप से बढ़ते बच्चों पर विशेष ध्यान देने पर बल दिया। श्री विनोद बब्बर द्वारा संचालित समारोह की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध़ वैदिक विद्वान डा सुंदरलाल कथूरिया ने की। विशिष्ट अतिथि संस्कृत के प्रकांड विद्वान डॉ. रमाकान्त शुक्ल, दिल्ली सरकार की हिन्दी अकादमी के सदस्य स.सुरजीत सिंह जोबन, आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री, प्रैस कोसिल के सदस्य श्री के.डी.चंदोला तथा समाजसेवी श्री परमानंद अग्रवाल ने भारतीय संस्कृति को वैज्ञानिक बताते हुए भाषा, पर्यावरण और संस्कृति के संरक्षण पर बल दिया। इससे पूर्व दिल्ली प्रदेश गायत्री परिवार की भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के संयोजक श्री खैराती लाल सचदेवा द्वारा दीपयज्ञ व रेड रोज पब्लिक स्कूल के छात्रों द्वारा वंदेमातरम् के पश्चात श्री अम्बरीश कुमार ने देश के कोने से कोने से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था के साहित्यिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने मकर संक्रांति के ऐतिहासिक-पौराणिक महत्व, भीष्म पितामह द्वारा उत्तरायण की प्रतीक्षा, स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस, मुक्तसर पंजाब के गुरु गोविंद सिंह से जुड़े प्रसंगों की चर्चा भी की।
हर वर्ष मकर-संक्रांति के अवसर प्रदान किए जाने वाले संस्कृति सम्मान आचार्य डॉ. राधागोविंद थोंड़ाम, डॉ.अरुणा राजेन्द्र शुक्ल, डॉ. शामलाल, श्री अब्दुर्रज्जाक मायूस सागरी, डॉ. प्रमेन्द्र प्रियदर्शी, श्री अमरेन्दर कुमार, श्री ओमप्रकाश त्रेहन, श्री राजकिशोर, श्री मधुकर शैदाई, डॉ. भैरुलाल गर्ग, को प्रदान किये गये। भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में सर्वाधिक भागीदारी के लिए मोहन गार्डन के कमल मॉडल स्कूल, हस्तसाल के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय तथा सर्वाेदय कन्या विद्यालय को भी यह सम्मान प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त अनेक विद्वानों को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सारस्वत सम्मान भी प्रदान किये गये।। इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में अपनी काव्य रचनाओं से समा बांधने वालों में सर्वश्री सागर सूद, रशीद सैदपुरी, नंदलाल रसिक, घमंडीलाल अग्रवाल, मुसाफिर देहलवी, फरहत जमा खान, ऋतिक गुप्त दर्पण, एम.एस.तोमर ‘विरही’, डा. महेन्द्रपाल काम्बोज, डा. लालजी सहाय श्रीवास्तव, डा.शमीम देवबंदी, डॉ. सादिक, डा. चन्द्रसेन, अरुण कुमार ‘अजीब’ प्रमुख थे। कार्यक्रम का एक आकर्षण बालक आशुतोष द्वारा पणिनी अष्टाध्यायी का सस्वर कंठस्थ पाठ भी रहा। आशुतोष की प्रतिभा से खचाखच भरा सभागार आनंदित हो उठा। धन्यवाद ज्ञापन श्री धर्मेन्द्र गर्ग किया।
इसी समारोह में विक्रम शिला हिन्दी विद्यापीठ की ओर से सुप्रसिद्ध हिन्दी सेवी एवम् संस्कृतिकर्मी किशोर श्रीवास्तव तथा कवयित्री सुषमा भंडारी (हम सब साथ साथ के सदस्यों) को विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि भी प्रदान की गई.
हर वर्ष मकर-संक्रांति के अवसर प्रदान किए जाने वाले संस्कृति सम्मान आचार्य डॉ. राधागोविंद थोंड़ाम, डॉ.अरुणा राजेन्द्र शुक्ल, डॉ. शामलाल, श्री अब्दुर्रज्जाक मायूस सागरी, डॉ. प्रमेन्द्र प्रियदर्शी, श्री अमरेन्दर कुमार, श्री ओमप्रकाश त्रेहन, श्री राजकिशोर, श्री मधुकर शैदाई, डॉ. भैरुलाल गर्ग, को प्रदान किये गये। भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा में सर्वाधिक भागीदारी के लिए मोहन गार्डन के कमल मॉडल स्कूल, हस्तसाल के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय तथा सर्वाेदय कन्या विद्यालय को भी यह सम्मान प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त अनेक विद्वानों को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए सारस्वत सम्मान भी प्रदान किये गये।। इस अवसर पर आयोजित कवि सम्मेलन में अपनी काव्य रचनाओं से समा बांधने वालों में सर्वश्री सागर सूद, रशीद सैदपुरी, नंदलाल रसिक, घमंडीलाल अग्रवाल, मुसाफिर देहलवी, फरहत जमा खान, ऋतिक गुप्त दर्पण, एम.एस.तोमर ‘विरही’, डा. महेन्द्रपाल काम्बोज, डा. लालजी सहाय श्रीवास्तव, डा.शमीम देवबंदी, डॉ. सादिक, डा. चन्द्रसेन, अरुण कुमार ‘अजीब’ प्रमुख थे। कार्यक्रम का एक आकर्षण बालक आशुतोष द्वारा पणिनी अष्टाध्यायी का सस्वर कंठस्थ पाठ भी रहा। आशुतोष की प्रतिभा से खचाखच भरा सभागार आनंदित हो उठा। धन्यवाद ज्ञापन श्री धर्मेन्द्र गर्ग किया।
इसी समारोह में विक्रम शिला हिन्दी विद्यापीठ की ओर से सुप्रसिद्ध हिन्दी सेवी एवम् संस्कृतिकर्मी किशोर श्रीवास्तव तथा कवयित्री सुषमा भंडारी (हम सब साथ साथ के सदस्यों) को विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि भी प्रदान की गई.
वाह!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!